रोग (कथा) — अजित आजाद
— ‘चान पर घर बनतै। घर मे लोक रहतै। लोक मुदा कतय सँ आओत?…
Read More— ‘चान पर घर बनतै। घर मे लोक रहतै। लोक मुदा कतय सँ आओत?…
Read More‘‘तों हमर आब केन्द्रविन्दु बनि गेल छें।’’ ‘‘आऽ तों हमर की बनि गेल छें…
Read Moreभगत जी फेर देखि लेलनि।पछिलो यात्रा मे देखि लेने छलाह आ बड़ आग्रहक संग…
Read Moreबड़ी काल सँ अपन एकटा पुरान डायरी ताकि रहल छलहुँ, जाहि मे अपन किछु…
Read Moreबहुत दिन पर मीनाक माय सँ भेंट भेल छलैक। हाल-सूरतिक गपसपक क्रम मे आदित्य…
Read Moreमाया आइ छत्ता ल’ गेनाइ बिसरि गेल छल। बस स्टॉप सँ डेरा तक अबैत-अबैत…
Read Moreढोल-पिपही बन्न भ’ गेल रहैक। मात्र शहनाइ टा बजैत छलैक। सेहो लाउडस्पीकर सँ। बरियातक…
Read Moreजहिया हम एत’ योगदान देने रही, एक विशाल व्यक्तित्वक दर्शन भेल छल । वएह…
Read Moreमनोरमा केँ एखनो विश्वास कहाँ भ’ रहल छलैक… …
Read Moreदिल्लीक फिरोजशाह स्टेडियमक ग्रीन रुम मे बीसहुँ लोकनिक अछैत निस्तब्धता छल। रहि-रहि क’ लोकक…
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