फगुआ: मिथिला-मैथिलक गर्व-पर्व — डॉ. कमल मोहन चुन्नू
समस्त मानव समुदाय हेतु पाबनि-तिहारक एकटा विशेष महत्व अछि। एकटा खास तरहक जीवन शैलीमे…
Read Moreसमस्त मानव समुदाय हेतु पाबनि-तिहारक एकटा विशेष महत्व अछि। एकटा खास तरहक जीवन शैलीमे…
Read More‘‘तों हमर आब केन्द्रविन्दु बनि गेल छें।’’ ‘‘आऽ तों हमर की बनि गेल छें…
Read Moreमैथिली मे त’ आब कएक टा सिनेमा बनि गेल अछि। घुसकुनियाँ कटैत ई क्रम…
Read Moreएक सुकान्त सोम मैथिलीक एक विरल कवि छथि, आ हुनका कविता पर बात करब…
Read More‘समकालीन कथा’, ‘कहानी’ आ ‘समांतर कथा’ एक मानल गेल अछि। समकालीन कथा मे कोनो…
Read Moreरहना नहीं देश वीराना है मीत !कोना रहब पार लगैत अछिओहि नगर मे जाहि…
Read Moreएक तहिया ग्रेजुएशनक फाइनल इयर मे रही। प्रोजेक्ट वर्क चलैत रहय। साधारणतया लेट सँ…
Read Moreई आलेख ‘ऑब्जेक्शन मी लार्ड’ (नाटक) पोथिक भूमिका थिक। चेतना समिति, पटनाक विद्यापति स्मृतिपर्व…
Read Moreकुलानन्द मिश्रक कविताक बाट चलब जीवनक सोझ साक्षात्कार थिक। हिनक कविता मे जीवन अपन…
Read Moreमैथिली कविता मे कतेको ‘वाद’ सब अबैत-जाइत रहल। यथा – सहजतावाद, अभियंजनावाद, अकवितावाद, नवकवितावाद,…
Read More