स्वाधीनता संग्राम, मधुबनी आ गणेश बाबू — रूपेश त्योंथ

बाबा यौ…गांधीजी केँ अहाँ देखने छियै? देश मे जखन सगरो अंगरेजक आतंक छल त’ अपनो गामक लोक डेराएल रहैत छल? एत्तहु ओ सभ जुलुम करैत छल ? अहाँ कतेकटा रही जखन देश गुलाम छल? अहाँ लड़ाइ कियैक नै केलियै ?

नेनहि सँ अहीँ सभ जकाँ हमरो साहित्य सँ इतिहास धरि मे गुलामी सँ अजादी धरिक खिस्सा पढाओल गेल। नाना प्रश्न नचैत रहैत छल। प्रश्नक अंबार आ जवाब देनिहार पितामहटा।

जखन कखनो अजादीक बात अबैत छल, हुनक आँखि मे अलगे तेज आबि जाइत छलनि। ओ बेस गर्वित होइत बजैत छलाह, “गणेश भैया लड़ल छलाह अंगरेज सँ । नान्हिएटा मे गोरका सभ केँ पानि पिया देने छलाह ओ। पूरा मधुबनी मे हुनक नाम चलैत छलनि । कहियो काल क’ ललका टोपीबला सिपाही अपनो गाम दिस अबैक। खोज-पुछारि क’ आपस चल जाइक। गणेश बाबू पर मोकदमा सेहो चलओने रहैक सरकार। एतबे नै गोली हुनका छूबि क’ निकलि गेल रहैक एकबेर। जान ओ उसरगिए रखने छलाह, तथापि बांचि गेल रहनि। एहि दिन धरि चेन्हांसी देखबैत छलाह हमरा।”

एतेक बजैत पिताहमक आँँखि डबडबा जाइत छलनि। जिनगी भरि ओ खुदीराम बोस सनक गोलगला सिया क’ पहिरैत रहलाह। हुनका सँ गप्प क’ लागि उठैत छल जे ई बेस निकट सँ गुलामीक आगि आ अजादीक इजोत तपने छथि। एहि सँ बेस किछु जनितहुँ हुनका सँ, से अवगति ता नै भेल।

मैट्रिक क’ क’ कलकत्ता एलहुँ त’ ज्ञात भेल जे गणेश बाबू मैट्रिक करबा लेल कलकत्ता आएल छलाह। मधुबनीक वाट्सन स्कूल मे क्रांतिकारी गतिविधिक चलते हुनका आगूक शिक्षा लेल कलकत्ता आबए पड़लनि। कलकत्ता हुनका आओर पकिया क्रांतिकारी बना देने छलनि। एतय आबि ओ अनेक क्रांतिकारी लोकनिक संपर्क मे आबि गेलाह आ सशस्त्र क्रांतिकारी बनि गेलाह।

देश भरि मे अंगरेजी सरकारक विरोधक जुआरि आबि गेल छलैक। मैट्रिक पास क’ गणेश बाबू पुनः मधुबनी आबि गेलाह आ पूर्णकालिक स्वतन्त्रता सैनिक भ’ गेलाह। छोट-छोट उमेरक बच्चा सबहक एक दल केँ ल’ काज शुरू क’ देलनि जे ‘बाल सेना’ कहबैत छल। दल केँ ओ ट्रेनिंग सेहो देइत छलाह जे कोना गिरफ्तारी सँ बचल जाए वा कोना पुलिस केँ गच्चा देल जाए। कोना सरकार आ सरकारी तंत्र केँ उछन्नर देल जाए।

1857 ई. केर पहिल विद्रोह सँ मधुबनीक आंदोलनी लोकनि स्वतंत्रता संग्राम मे उल्लेखनीय भूमिका निमाहलनि अछि। मंगरौनी गामक पंडित भिखिया दत्त झा सँ प्रेरित भ’ वीर कुंवर सिंह लड़बा लेल तैयार भेल छलाह। अंगरेज झा केँ गिरफ्तार क’ लेलक आ हुनक घर केँ तबाह क’ देलक। ओ वीर कुंवर सिंह केर राजपुरोहित छलाह।

1917 ई. मे गाँधीजीक चंपारण सत्याग्रह मे मधुबनीक लौकहावासी बौएलाल दास ओ शिबोधन दास सक्रिय रूप सँ भाग लेलनि। गांधीजीक डांडी मार्च मे कुशेश्वर स्थान केर बेढ गामक गिरधारी चौधरी (जनतबक अनुसार समूचा बिहार सँ एकसर) भाग लेने छलाह।

एही सभक गहींर प्रभाव गणेश चन्द्र झा पर पड़ल छलनि। 1930 ई. केर नमक सत्याग्रह मे नमक क़ानून केँ तोडै़त एसडीओ कार्यालयक समक्ष सर्वप्रथम गिरफ्तारी देने छलाह।

मधुबनी स्थित फ्रीडम फाइटर फाउंडेशनक अध्यक्ष सुभेश चन्द्र झा कहैत छथि जे गणेश बाबू अगस्त क्रांतिक नायक छलाह। ई क्रांति मिथिला केँ हलचल सँ भरि देने छल। मिथिलाक 128 क्रांतिकारी शहादति देने छलाह, जाहि मे मधुबनीक कुल 19 आंदोलनी अपन आहुति देलनि। 10 गोटे केँ फाँसी सुनाओल गेल छलनि, जाहि मे सँ 2टा सपूत फाँसी चढलाह।

मधुबनी मे 1942 -अगस्त क्रांतिक नेतृत्व गणेश चन्द्र झा क’ रहल छलाह। सूरज नारायण सिंह केँ गिरफ्तार क’ दड़िभंगा पठा देल गेलैक। गांधीजी बम्बइ मे ‘अंगरेज भारत छोड़ो’ आ ‘करो या मरो’ केर नारा देलनि। समूचा देश मे आंदोलनी सभ पर एकर व्यापक प्रभाव भेल। नेता सभ केँ जेल मे बंद क’ देल गेल। मधुबनी जेलक फाटक तोड़ि क’ कैदी सभ बाहर आबि गेल छल। लोक गाम-गाम मे गणेश बाबू, सूरज बाबू केर लोकप्रियताक गीत गाबय लागल छल –

“चलल गणेश तिरंगा ल’क’, दहकैत सूरज तेज प्रताप
अंगरेजक छक्का छुटै छै, हेतै भारत आब आजाद”

सूड़ी स्कूल ताहि दिन आंदोलनक केंद्र बनल छल। गणेश बाबू अनेक युवा क्रांतिकारी तैयार केने छलाह। जाहि सँ अंगरेजी शासन केँ भारी ड’र छलैक। हिनका गिरफ्तार क’ मधुबनी जेल मे बन्न क’ देल गेलनि। गांधीजीक आह्वान पर 10 अगस्त 1942 केँ 11 बजे दिन मे गणेश बाबू जेलक फाटक तोड़ि क’ 88 बंदीक संग मुक्त भ’ भूमिगत भ’ गेलाह। भूमिगत रहैत मधुबनी थाना आ कचहरी पर कब्जा क’ तिरंगा फहरयबाक योजना बनाओल गेल।

14 अगस्त 1942 केँ लगभग 5 हजारक संख्या मे किसान, मजदूर, छात्र सूड़ी स्कूल सँ झंडा नेने थाना आ कचहरी दिस नारा लगबैत चलि पड़ल। आगू-आगू तिरंगा नेने गणेश बाबू चलि रहल छलाह। बैद्यनाथ पंजियार, इन्द्रलाल मिश्र, महावीर कारक, अनन्त महथा, भगवती चौधरी, तेजनारायण झा, राजकुमार पूर्वे, चतुरानन मिश्र, रामसुदिष्ट भगत, रामेश्वर दास, लक्ष्मी नारायण साह, मार्कंडेय भगत, महादेव साह, कामेश्वर साह आदि अनेक आंदोलनी भीड़क संग छलाह।

जुलूस जखन नीलम सिनेमा चौक लग पहुँचल कि गोली चलय लागल। गणेश ठाकुर आ अकलू महतो तत्क्षण शहीद भ’ गेलाह। गणेश बाबू पर बर्बर तरीका सँ लाठी आ बन्नूकक कुन्दा सँ प्रहार होमय लागल। भीड़ आओर बेसी उग्र भेल जा रहल छल। गणेश बाबू लहुलुहान भ’ अचेत खसि पड़लाह। सिपाही हुनका घिसियबैत थाना अनलक। दारोगा राजबली ठाकुर निर्ममता पूर्वक हुनका पर बूट सँ प्रहार करैत रहल। भीड़ पर गोली चलयबा लेल उद्यत दरोगा केँ एक मुसलमान जमादार शांत करैत रहल, मुदा ओ मानबा लेल तैयार नै भ’ रहल छल। ताधरि दरभंगाक कलक्टर सैल्सबरी मधुबनी थाना पहुंचि दारोगा केँ चेतौनी द’ शांत केलक।

पितामह भारी कंठ सँ बाजि उठथि, “भैया केँ हमरा सँ बड्ड सिनेह छलनि। जा स्वस्थ रहलाह मधुबनी सँ गाम आबथि। गाम हुनका आकर्षित करैत छलनि। डिस्ट्रिक्ट बोर्ड केर चेयरमैन पद सुशोभित केलनि ओ आ तैं चेयरमैन साहेब नामे ख्याति छलनि। ने आब ओ चेयर रहल आ ने ओ मैन। देशभक्ति, अजादी, क्रान्ति…ई शब्द सभ आब नै धधकओबैत छैक लोक केँँ।”

(ध्यानार्थ: गणेश बाबू स्वतंत्रता आन्दोलन, समाजसेवा संगहि मैथिली साहित्य मे सेहो उल्लेखनीय योगदान देने छथि । हिनक दू गोट उपन्यास प्रकाशित छनि कृष्णक हत्या (1957) आ रत्नहार (1957) । ज्ञात हो जे ‘रत्नहार’ मैथिलीक पहिल जासूसी उपन्यास रूप मे जानल जाइछ।)

• रूपेश त्योंथ सँ सम्पर्क हुनक ईमेल rupeshteoth@gmail.com वा हुनका द्वारा संचालित मैथिलीक वेब-पोर्टल मिथिमीडियाक ईमेल mithimedia@gmail.com पर कयल जा सकैछ अछि । जँ फेसबुक पर हुनका सँ जुड़य चाही त’ हुनकर प्रोफाइल लिंक छनि – https://www.facebook.com/rupeshteoth

• रूपेश जीक फोटो राहुल झा (दृश्यम मीडिया) द्वारा मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल दिल्ली मे खिंचल गेल छ

— संपादक