दिल्लीक फिरोजशाह स्टेडियमक ग्रीन रुम मे बीसहुँ लोकनिक अछैत निस्तब्धता छल। रहि-रहि क’ लोकक आवाजाही भ’ रहल छल, मुदा कियो किछु बाजि नहि रहल छल। चीअर लीडरवला कम्पनीक संयोजक कंठ मे कएक टा पहचानपत्र टंगने बेर-बेर आबि रहल छलीह। सब किछु योजनाक हिसाबे चलि रहल छल मुदा तैयो संयोजक उताहुले छलीह। सब ब्युटिशियनक लग जा क’ कहैत छलीह, “जल्दी करो, जल्दी करो”। तथापि संयोजकक गप्प सँ कोनो व्युटिशियन प्रभावित नहि होइत छलीह। सब किओ अपन काज मे मगन छल। एहि ग्रीन रुम मे दर्जनो ब्युटिसियन, चीअर लीडरक रंगरुट सब पर अपन कौशलताक परिचय द’ रहल छलीह। पूनमक गाल पर सेहो सुंदरताक कतेको सामिग्री तहियाक पसारल गेल छल। सुंदरता आ श्रृंगार मे कोनो संबंध नहि। सुन्दर कोन आ कम सुन्दर सब चीअर लीडर पर एकसमान श्रृंगार कयल जा रहल छल — श्रृंगारक कइयेक टा परत। एखन क्रिकेट मैच शुरु होयबा मे घंटा भरि शेष छल, मुदा स्टेडियम मे दर्शक पहुँचि गेल छल। एक लाख लोकक हल्ला रहि-रहि क’ ग्रीन रुम मे आबि रहल छल जेना मधुमाछीक झुण्ड भन-भनाइत कतओ जा रहल हो।
ब्युटिशियनक हाथ मशीन जकाँ चलि रहल छल। ब्युटिशियनक पसारल गेल सुंदरता केँ एक लाख लोक स्टेडियम मे आ करोड़ो लोक टेलीविजन पर देखत। प्रत्येक चौका-छक्का पर करोड़ो लोक चीअर लीडरक बारे मे अपन-अपन अवधारणा बनाएत। चीअर लीडर आधुनिक खेलक अभिन्न अंग होइत अछि। हुनका लोकनिक बिना खेल मनोरंजक नहि भ’ सकैछ । अपन उपस्थिति सँ ओ लोकनि प्रतिस्पर्धा, रोमांच आ अभिरुचि केँ बनेने रखतीह । मुदा मैच खत्म भेलाक बाद चीअर लीडर सब यथार्थक गुमनामी दुनियाँ मे घुरि जेतीह । चीअर लीडरक नाम, रुप, यौवन, सुंदरता, अथवा व्यक्तित्वक कोनो महत्व नहि। चीअर लीडर मनुखक रुप नहि, कोनो फैक्ट्री सँ निकलल वस्तु थीक। एकटा फैक्ट्री सँ एकहि फर्मा सँ निकलल वस्तु जकाँ बिल्कुल एक समान। कनिये कालक गप्प थीक, ओकर बाद सबटा चीअरलीडरक मुँह एकसमान लागय लागत। चीअर लीडरक परिधान जेना वस्तुक ब्रैंडिँग वला लेबल हो। चीअर लीडरक कंट्रैक्ट जेना वस्तुक एक्सपाइरी डेट हो।
मुदा ओहि चीअर लीडरवला वस्तुक आवरण मे स्त्रीक आत्मा सद्य: निवास करैत छैक। ओहि स्त्रीक सुख-दुख सँ परिपूर्ण अपन अलग जीवन होइत छैक। पूनम सेहो अपन जीवनक सँघर्ष सँ निकलि ओहि आवरण मे पूर्ण रुप सँ चलि जेबाक अथक परिश्रम क’ रहल छलीह।
पूनम केँ फोनक हिस्सक छलनि। फोनक बिना एक मिनट नहि रहि सकैत छलीह, व्हाट्सएप्पक, ईमेलक, एस.एम.एसक आवाज हुनकर जीवनक अभिन्न अंग छल। मुदा सम्प्रति फोन स्तब्ध छल, मरल-मान समान। फोन मे कोनो गतिविधि नहि। पूनम सब सँ लड़ि-झगड़ि क’ आयल छलीह। किनको सँ कोनो संवादक अपेक्षा नहि छलनि। तेँ रहि रहि क’ फोन दिस ध्यान जाइतो छलनि त’ अखियास भ’ जाइत छलनि, ‘नहि किनको कोनो मैसेज आकि फोन नहि आबि सकैत अछि’।
चीअरलीडर कम्पनीक संयोजक सबटा चीअर लीडर केँ सख्त निर्देश देने छल, फोन बंद राखबाक लेल। पूनम निश्चिंत छलीह, जे बंद करबाक कोनो बेगरता नहि। दुनिया मे किओ एहेन लोक नहि जे हुनकर खबर लेतनि। फोन चिर निद्रा मे सुतल छल, एकाकी ओ अवसाद सँ ग्रसित भेल।
अखण्ड स्तब्धताक मध्य पूनम केँ कोनो टहंकार सन सुनाय छलनि — “मैथिलक बेटी कतओ चीअरलीडर बनैत छैक”, बापक कहल गेल गप्पक प्रतिध्वनी हुनका बेर-बेर सुनाइत छलनि। पूनम केँ अपन इच्छाशक्ति एवम दृढ विश्वास पर गौरव छलनि। हुनका बुझल छलनि, जे ओ क’ रहल छलीह, ओहि मे कोनो खरापी नहि। मुदा हृदयक एकटा कोन मे कचोट रहनि जे बाप केँ दुखित नहि करबाक चाही। हुनका भविष्यक प्रगति आ बापक प्रेमक बीच मे एकटा चीजक चयन करबाक छलनि, ओ प्रगतिक संग गेलीह।
ग्रीन रुमक स्तब्धता मे पूनम केँ मायक गप्प मोन पड़ैत छलनि, “नरुआर बला कथा त’ सरिपहुँ बिगड़ि जायत, चीअरलीडर सँ किओ विवाह करय जायत?”। ओ मायक गप्प केँ अनठेबाक प्रयत्न करैत छलीह, मुदा यथार्थ पूनमक तंद्रा भंग करैत छलनि। माए-बाप केँ दु:ख पहुँचेबाक कचोटक संग हुनकर हृदय मे नहि जानि कोना अपन मोबाइल फोन सँ सेहो किछु अपेक्षा छलनि। मोबाइल फोन अनन्त अवसाद मे छल, पुनम केँ होइत छलनि जे माए-बाप-समाजक संग फोन सेहो हुनका सँ रुसि गेलनि अछि। माए-बाप आ समाज हुनका की ने कहने छलनि। मुदा फोन हुनकर संग देलकनि अछि। तेँ हुनकर अवचेतन मष्तिस्क बारम्बार सूचित करैत छलनि जे मोबाइल पर फोन आबि सकैत अछि। मुदा यथार्थ धरातल पर पटैक दैत छलनि। सत्ये, नरुआरवला हुनका किछु उत्तर नहि देलकनि। नीक आकि बेजाए, उत्तर त’ देबाके चाही। विवाह नहि केनाय रहनि त’ कहि दितथि। कायरताक हद्द छल। हुनका बुझल छनि माय-बाबुजी आइ ने काल्हि हुनकर फैसला केँ स्वीकार करबे करतनि मुदा समाज त’ दोसर बेर अवसरे नहि दैत छैक। असमाजिक होइबाक सेहो हुनका बड्ड कचोट भ’ रहल छलनि।
ब्युटिशियनक हाथक निरंतर चलि रहल छल। कुच्ची, ब्रश, रंग, टीप सबहक प्रयोग भ’ रहल छल। स्थिर मोन केँ बहुत किछु फुराइत छैक। जखन शरीर निश्चल होइत छैक तखन मोन बहुत स्फुर्तीमान होइत छैक। पूनम केँ सब किछु मोन पड़ैत रहनि। सब सँ अप्रत्याशित प्रतिक्रिया हुनकर नानी देने छलीह — “गए छौंड़ी पुरे खानदानक नाक तोँ कटा देलेँ ।”
बेटा पुतोहु दसो साल सँ नानीक ओतेक निहौरा करैत रहलनि। कहियो गाम सँ दिल्ली ओ नहि आबि सकलीह। मुदा पूनम केँ बुझेबाक लेल एक सप्ताह पहिने दिल्ली आयल छलीह। कतेक भावुक तर्क, आवेश, आ तामस देखेने छलीह। मुदा समुचा दुनिया एक दिस आ पूनमक जिद्द एक दिस। पूनम अपन नानीओक गप्प नहि मानलीह। अंततोगत्वा चीअरलीडरक कंट्रैक्ट पर साइन क’ देने छलीह।
मात्र किछुए कालक गप्प अछि आब ओ स्टेडियमक बीच मे जेतीह, झंडा आ कृत्रिम फूलक फुलझड़ी ल’ क’ प्रत्येक चौका-छक्का पर दर्शकक मनोरंजन करतीह। विभिन्न तरहक गप्प, बात, कथाक बीच नानीक कहल गेल अंतिम पँक्ति हुनका याद आबि रहल छलनि “गए छौड़ी पुरे खानदानक नाक तोँ कटा देलेँ।”
के नहि की कहलकनि ! मुदा पूनम विद्रोही स्वभावक छलीह। लोक जतेक उलहन देलकनि, चीअरलीडर बनबाक हुनकर निर्णय ओतेक दृढ भेल गेलनि। पूनम पढय मे बहुत नीक छलीह, अपन क्लास मे सदिखनि फर्स्टे करैत एलीह। मुदा चार्टेड अकाउंटेंसी पढबाक लेल कियो खर्चे देनिहार नहि। पैसाक कारणे नहि पढ़ि सकलीह। मोन मसोइसि क’ रहि गेलनि, मुदा कोन उपाय? एखन दिल्ली मे मात्र चौदह हजार टाका महीना पर नौकरी करैत छलीह। एकटा बी.काम पास युवती केँ एहि सँ बेसी दरमाहा नहि भेटैत छैक। एहि चौदह हजार टाका मे अपन खर्चा आ भायक मासिक खर्चाक बाद किछु बचिते नहि छलनि। आब छबीस वर्षक उम्र पार भ’ गेल छलनि। समृद्ध परिवारक बीकाम पास लोक तुरंते नौकरी नहि करैत छैक, बीकाम केलाक बाद लोक चार्टेड अकाउंटेट बनाबाक पढाइ पढैत छैक। मुदा पूनम केँ दिल्ली मे रहबाक खर्चा आ सी.एक. पढाई करबाक खर्चा के दितनि?
ब्युटिशियनक हाथक तर मे पूनम केँ निश्चिंतता छलनि जेना पैघ यात्राक बाद थाकल ठेहियायल अपन घर आयल होइथि आ विश्राम क’ रहल होइथि। निश्चिंत भेला पर लोक आत्मविश्लेषण करैत छैक। पूनम केँ पुरनका गप्प सब मोन पड़य लगलनि। हुनकर बाबुजी केँ पढला-लिखलाक बादो नौकरी नहि भेटलनि। एखन झंझारपुर मे खेत-पथार भरना लागल छलनि। बाबुजी ट्युशन पढा क’ परिवारक जिम्मेदारी निर्वहन करैत छलाह। कोनो धरानी काज चलैत छलनि। ओ पढय मे बहुत नीक छलीह। मैट्रिकक बोर्ड परीक्षा मे गणित मे अपन स्कूल मे सब सँ बेसी नम्बर भेटल छलनि। एखन गणित मे हुनका सँ कम नम्बर भेटलाक बादो हुनकर सहपाठी सब इंजिनियर बनि बड़का-बड़का पोस्ट पर काज क’ रहल छलनि। ओहि समय मे ओहो गणित विषय सँ पढ़य चाहैत छलीह, हुनको इंजिनियर बनबाक अभिलाषा रहनि। मुदा परिवारिक स्थिति तेहेन छलनि जे पैघ शहर मे खर्चा पानि देबय वला कियो नहि। बाबुजी हुनका आर्ट्स सँ पढ़य कहैत छलनि। कइएक मास चलल आर्ट्स-साइंसक मोल-भावक बाद मामला कामर्स विषय पर खत्म भेल छलनि। झंझारपुरे सँ इंटरमीडिएट कामर्स विषय मे पास केलीह। ओकर बाद कम सँ कम दरभँगा मे रहि बी.काम करय चाहैत छलीह, मुदा ओतय सेहो खर्चा-पानि लगितनि। कोनो धरानी फीस भेटि जाइत छलनि। मासिक खर्चाक कोनो व्यवस्था नहि। झंझारपुरे सँ बी.काम करय पड़लनि। ओ त’ समय बदलि गेल छैक, आब लड़को सब कम सँ कम ग्रैजुएट कनियाँ ताकय छथि, नहि त’ इंटरक बादे विवाह-दानक व्यवस्था भ’ गेल रहितनि। तेँ बीकाम करबाक रास्ता प्रशस्त भेलनि।
बीकाम केलाक बाद झंझारपुर मे कतय नौकरी भेटैत छैक? बी.ए. केलाक बाद प्राइवेट स्कूल मे शिक्षिका अवश्य बनि सकैत छलीह, कम सँ कम पाँच हजार टाका दरमाहा सेहो भेटितनि। मुदा बीकाम केलाक बाद तकरो जोगार नहि। हुनकर गणित बहुत नीक छलनि, ट्युशन पढा सकैत छलीह। मुदा लोक की कहितनि। बापो वएह काज करय छनि आ ओहो वएह काज। झंझारपुर मे आन कोनो उद्योग नहि छैक, मात्र ट्युशन पढेबाक उद्योग छैक। पढल-लिखल लोक यएह काज करैत छथि। एतेक ट्युशन पढाबय वला लोकक बीच मे हुनका के मोजर देतनि। ओ कोचिंग सेहो नहि खोलि सकैत छलीह।
धन्य अछि इंटरनेट आ सोशल मीडिया। पूनम केँ जनतब भेलनि जे दिल्ली मे बी.कॉम वला सब केँ पंद्रह-बीस हजार टाका मासिकक नौकरी आसानी सँ भेटि जाइत छैक। मुदा जे माय-बाप हुनका दरभंगा मे रहय सँ मना करैत छलखिन ओ दिल्ली पठेबाक लेल कोना परमिशन दितथिन । ओ त’ धन्य हुनकर मामा आ मामी जे दिल्ली मे छोट-मोट नौकरी क’ गुजर-बसर करैत छलनि। इंटरनेटक दुनिया मे पूनम केँ विश्वास भ’ गेल छलनि जे दिल्ली मे पंद्रह-बीस हजार टाकाक नौकरी आसानी सँ भेटि जेतनि। प्रत्येक छोट-मोट दोकान, व्यवसायी के अकाउंटेंटक बेगरता रहैत छैक तेँ बीकॉम वला केँ नौकरी भेटब बहुत आसान। दिल्ली घुमय-फिरय लेल अपन मामी सँ कहा-बदी करबा लेने छलीह। अगिला दुर्गा-पूजा मे मामा संग दिल्ली चलि गेलीह।
मात्र एक-मास मे घुरि एतीह, यएह कहि क’ झंझारपुर सँ गेल छलीह। दिल्ली मे हुनकर मामाक ओतय अखबार आबैत छलनि आ ओहि अखबार मे क्लासीफाइड मे एकटा शॉपिंग माल में अकाउंटेंटक नौकरीक विज्ञापन छलैक। ओ अगिला दिन वाक-इन इंटरव्युक लेल चलि गेलीह। ई हुनकर पहिल इंटरव्यु छलनि आ हुनका पहिल इंटरव्युए मे सेलेक्शन भ’ गेलनि। टटका-टटका बी.काम पास कयने छलीह। सबटा चीज सभ ओहिना याद छलनि। इंटरव्यु लेबय वला बड्ड प्रभावित भेल छलनि। दिल्लीक कैकटा कंडिडेट मे सँ मात्र हिनके टा सेलेक्शन भेल छलनि। पूनम केँ आत्मविश्वास बढि गेल छलनि। ओ अगिला सप्ताह सँ नौकरी सेहो ज्वाइन क’ लेलीह। चौदह हजार टाका कम नहि होइत छैक।
माय बाबुजी केँ मना करबाक अवसरे नहि भेटलनि। कोन मुँह सँ नौकरी करय सँ मना करितथिन । हँ, छोट भायक मासिक खर्च उठबैक जिम्मेदारी भेटलनि। छोट भाय सेहो हिनके सन मेधावी छल, गणित मे बड्ड तेज। मुदा पैघ शहर मे रहि इंजिनियरिंग करबाक खर्च हुनको नहि भेटि सकलनि। इम्हर पूनम केँ नौकरी भेटलनि आ उम्हर हुनकर छोट भाय केँ पटना मे रहि बी.एस.सी करबाक हिम्मत भेटलनि।
भोरे नौ बजे सँ साँझक सात बजे धरि सप्ताह मे छओ दिनक नौकरी छलनि। मासक अंतिम तिथि केँ चौदह हजार टाका भेटि जाइत छलनि। छओ हजार टाका छोट भाय केँ पठेबाक बाद आठ हजार मे अपन खर्च मुश्किल सँ होइत छलनि। शुरुआती छओ महीना बहुत उत्साह मे बीतल छलनि। अपन मेहनतक पैसाक अलगे आनंद होइत छैक। पहिल दरमाहा सन दुनियाँक कोनो आन वस्तु नहि। एक मासक बाद मामा-मामी सँ अलग अपन रुम किराया पर ल’ लेने छलीह। अपन घरक प्रत्येक वस्तु कीनय मे हुनका विशेष उत्साह छलनि। प्रत्येक गतिविधि हुनका लेल नव छलनि। आ प्रत्येक नव काज मे हुनकर उत्साहक कोनो सीमा नहि रहैत छलनि। आ प्रत्येक नव काज सँ हुनकर आत्मविश्वास बढैत गेलनि।
अपन आफिस मे अपन सहकर्मी सब सँ चार्टेड अकाउंटेंटक दुनियाँक खिस्सा सुनैत छलीह। एक लाख टाका सँ किनको कम दरमाहा नहि भेटैत छैक। नौकरीक अनुभव भेलाक बाद सी.ए. लोक सब करोड़ो टाका कमाइत अछि । पूनम मोन मारि क’ रहि जाइत छलीह। हुनका बुझल छलनि जे जँ तीन वर्ष हुनका भेटितनि त’ सी.ए. पास क’ जेतीह मुदा दिल्ली मे तीन वर्ष रहबाक खर्चा पानि के दितनि। नहि! ओ अपने जकाँ, अपन छोट भायक कैरियर खराप नहि होबय देतीह। ओ मात्र लड़की भेलाक कारण अपन जिम्मेदारी सँ पाछु नहि हँटतीह। अपन छोट भाय केँ कोनो धरानी पुरा पढेबाक कोशिश करतीह। तेँ प्रत्येक मासिक खर्चक बाद अपन भायक उत्साहवर्धन सेहो करैत छलीह। छोट भाय सेहो कृतघ्न नहि छल। फर्स्ट-इयर मे पुरे क्लास मे टाप कयने छल ।
दस घंटाक ड्युटीक बाद हुनका समय नहि भेटैत छलनि कोनो दोसर गप्प सोचतीह। झंझारपुर मे माय बाबुजी विवाह-दान लेल अधीर होइत छलनि। मुदा हुनका लोकनिक लग एक-मुश्त पैसा नहि छलनि जे दहेज द’ क’ विवाहक गप्प आगाँ बढितनि। हुनकर बाबुजी घटकैती मे अवश्य जाइत छलाह, मुदा कोनो कथा सुतरैत नहि छलनि। पूनम जीवन मे आगाँ बढय चाहैत छलीह। किछु हासिल करय चाहैत छलीह। तेँ पूनम केँ विवाहक बात-कथा फेल भेनाय नीके लागैत छलनि।
मुदा कतेक दिन?
इम्हर चौदह हजार टाकाक खर्च पहिने सँ नियत रहैत छल। दोसर नौकरी भेटलो पर मात्र एक-दू हजार टाका बेसी भेटितनि। पैघ अधिकारी सब केँ हिनकर काज नीक लागैत छलनि, मात्र डेढ वर्ष मे कम्पनी मे धाख जमा लेने छलीह। अकारण, एक-दू हजार टाकाक लेल एहि नौकरी केँ छोड़य नहि चाहैत छलीह। हुनका मात्र एकटा लक्ष्य आगु देखा पड़ैत छलनि-छोट भाय पढि लिखि केँ सेटल भ’ जानि तखने अपना बारे मे किछु निआर करतीह।
पूनमक छोटका भाय बी.एस.सी. केलाक बाद नीक इंस्टिट्युट सँ एम.बी.ए. करय चाहैत छल। पढय मे नीक छल, तेँ सेलेक्शन भ’ सकैत छलनि। मुदा नीक एम.बी.ए क इंस्टिट्युट मे दस लाख सँ बेसी फीस लगैत छैक। दस लाख टाका कतय सँ एतैक। झंझारपुर मे साधारण घर मे कोनो धरानी परिवारक लालन-पालन होइत छलनि। एहन परिस्थिति मे बैंक कथी पर लोन दितनि। छोट भायक कैरियरक लेल पूनमक नौकरी परमावश्यक छल।
एही बीच मे एक दिन पूनम देखलीह जे जाहि शॉपिंग माल मे ओ नौकरी करैत छलीह, ओहि मे आगामी क्रिकेट टुर्नामेंट लेल चीअरलीडरक सेलेक्शन हेबाक विज्ञापन लागल छल। लोकसब सँ सुनबा मे एलनि जे आठ लाख टाकाक अनुबंध छैक। तीन मास लगातार शहर-शहर मे जा क’ प्रत्येक क्रिकेट मैच मे चीअर लीडरक काज करबाक बाद एकमुश्त आठ लाख टाकाक व्यवस्था छल। एक शहर सँ दोसर शहर जयबाक व्यवस्था आ बोर्डिंग-लॉजिंग फ्री मे छल। नहि जानि कियैक पूनम ओहि मे आवेदन क’ देलथिन।
हजारो नवयुवती आयल छल जाहि मे तीसटा नवयुवतीक चयन भेलनि। पूनम सेहो चयनित भ’ गेलीह। स्वभाव मे पूनम उत्साही लोक छथि नव उर्जा सँ भरल पूरल। यएह उत्साह आ ऊर्जा हुनका एखन धरि सफलता देलकनि अछि। नहि त’ हिनकर परिस्थिति सदिखन प्रतिकुले रहलनि अछि। पूनम केँ आठ लाख टाकाक उपलब्धि भेटि गेल छलनि। पूनम एहि चयन सँ भाव विभोर भ’ गेलीह। जीवन मे जे करय चाहैत छलीह से मात्र एहि तीन मासक नौकरी सँ सम्भव भ’ सकैत छल। छोट भायक पढाइ आब पैसाक कारण नहि रुकतनि। जाहि कारणे हिनकर कैरियर खराप भेलनि सएह कारण सँ छोट भायक कैरियर खराप नहि हेतनि। समाज मे कतेक उदाहरण छैक जाहि मे पैघ भाय, छोट भायक पढाइक खर्चा वहन केने छथि। मात्र स्त्री हेबाक कारणे ओ एहि जिम्मेदारी सँ पाछु नहि भ’ सकैत छथि। एहि चयन सँ पूनम केँ अपन जीवन सार्थक लागय लागल छलनि।
मुदा जहिना ई सूचना अपन माय-बाबुजी केँ देलथिन, घर मे कन्हारोहटि पसरि गेल। सब यएह कहैत छलनि जे मैथिलक धीआ कतहुँ चीअर लीडर बनय। माय-बाबुजी पूनमक गंजन करय लागलनि। पहिने मना केलकनि। ओकर बाद दस टा बात कथा कहलकनि। ओकर बाद आन-आन तरीका सँ गंजन भेलनि। सबटा गप्प फोने पर भेल छलनि।
बाबुजी कहलकनि, “तोरा पढबाक छलौ, हम मना नहि केलियौक, तोरा ग्रेजुएशन धरि पढबाक छलौक, हम सेहो स्वीकार क’ लेलियौक, हम आर्टस पढए कहैत छलियौक, तोरा कामर्स पढबाक छलौक, हम सेहो स्वीकार क’ लेलियौक, तोरा दिल्ली जयबाक छलौक, हम जाय देलियौक, तोरा दिल्ली मे नौकरी करबाक छलौक, हम मोन मारि क’ सहमति द’ देलियौक”।
पूनम उत्तर देने छलीह, “अहाँ लोकनि त’ हमरा मैट्रिकक बादहि सँ पढय सँ मना करैत छलहुँ। हम गणित विषय सँ पढय चाहैत छलहुँ अहाँ लोकनि नहि करय देलहुँ। हम त’ मामाक ओतय आयल छलहुँ, आ एतहि सँ नौकरी भेटि गेल, नहि त’ गाम सँ नौकरी तकबाक लेल अहाँ लोकनि हमरा किन्नहुँ नहि आबय दितहुँ। हमरा प्रत्येक ठाम अहाँ लोकनि विरोध केलहुँ।”
बाबूजी अधीर भ’ क’ कहने छलखिन, “गए दाइ तोँ चीअरलीडर बनि खुब पैसा कमेबएँ, मुदा हमरा लोकनि समाज केँ कोन मुँह देखायब ?”।
“से चीअरलीडर मे एहन खोन खरापी होइत छैक बाबुजी? हाथ मे झण्डा इत्यादि ल’ क’ प्रत्येक चौका-छक्का पर फहरबैत छैक आ खिलाड़ी आ दर्शकक उत्साहवर्धन करैत छैक”।
“ओहन कपड़ा पहिरि क’ सगर दुनियाँक सोझाँ मे नाच आ प्रदर्शन। हम लोक के की जवाब देबय। दुनिया मे गरीब लोक नहि होइत छैक? ट्युशने पढा क’, मुदा तोरा लोकनि केँ कोनो कमी हुअ देलियौक। जतबी छल ओही मे इज्जत प्रतिष्ठा सदिखन भेटैत रहल”।
पूनम बापक संग छोट कपड़ा पर विवेचना नहि करय चाहैत छलीह। चीअरलीडर सबहक आब परिधान बदलि गेल छल। आब सब भारतीय परिधान मे प्रदर्शन करैत अछि। मुदा जँ भारतीय परिधानक व्यवस्था नहियो रहितनि तखनो चीअरलीडरक परिधान अश्लील नहि होइत छैक। एहि विषय मे बाप सँ बहसक कोनो परिणाम नहि भेटल रहितनि। ओ चुप भ’ गेल छलीह। एहि सब गप्पक लेल पूनम केँ कोनो उपयुक्त शब्द नहि भेटि रहल छलनि। हुनकर बाबुजी केँ भेल छलनि पूनम हाथ सँ निकलि गेल छथि।
पूनमक बाबूजी लग दहेजक पैसा छलनि नहि। ओ घटकैती पर जाइत अवश्ये छलाह मुदा एखन धरि कोनो कथा सुतरलनि नहि। नरुआरबला लड़का बड्ड मोश्किल सँ गप्प मानने छल। पूनम दिल्ली मे नौकरी करैत छलीह आ नरुआर बलाक सरकारी नौकरी सेहो दिल्लीए मे छलनि। ओ आदर्श विवाह करबाक लेल मंजूरी द’ देने छल। पूनम सेहो एक-दू बेर हुनका सँ दिल्लीए मे भेंट कयने छलीह। नरुआरबला केँ सेहो कमासुत कनियाँ भेटतनि। दिल्ली सन महग शहर मे एकटा दरमाहा सँ किछु नहि भ’ सकैत छल। कमासुत कनियाँ तिजौरी सँ कम नहि !
पहिलुके भेंट मे पूनम नरुआरबला केँ कहने छलीह, “ अपन समाज मे सदति पैघ भाय छोट भाय केँ पढबैत आयल अछि । हजारो उदाहरण उपलब्ध अछि। हमरा बिनु हमर छोट भायक पढाई सम्भव नहि, तेँ विवाहक बाद सेहो हम हुनका पढाईक मासिक खर्चा इत्यादि दैत रहबनि”।
एहि इत्यादि मे बहुत किछु छल। नरुआर वला सेहो कोनो इम्हर उम्हरक तर्क नहि देने छलनि। अपितु ओ बजलाह, “कहने छलनि जहिना समाज मे पैघ भाय छोट भाय केँ पढ़बैत छैक तहिना पैघ बहिन केँ सेहो करबाक चाही। हुनका अवश्ये मददि करबाक चाही। हमरा सँ जे सम्भव हेतैक से हमहुँ मददि करबनि। बरु हुनका नौकरी भेटलाक बाद असुलि लिअनि मुदा हुनकर पढाई मे कोनो कमी नहि होबय देबनि।”
आइ-काल्हुक दुनिया मे एतेक सामंजस्य स्थापित करय वला साइते कोनो आन युवक भेटल रहितनि, जे आदर्श विवाह करबाक लेल तैयारे टा नहि भेल हो अपितु विवाहक बाद छोट भाय केँ पैसा दैत रहथिन। पूनम नहुएँ-नहुएँ आगू बढि रहल छलीह। पूस मास छल तेँ विवाहक तिथि निश्चित नहि भेल छल।
ओकर बाद पूनम केँ चीअरलीडर मे चयन भ’ गेलनि। अफरातफरी मे नरुआर वला सँ बेसी गप्प नहि भेल छलनि। माय-बाबुजीक बात-कथा आ गारि-फज्जतिक बाद हुनकर हिम्मत नहि भेलनि जे नरुआर बला केँ सब किछु बुझा सकथि । जँ हुनकर बाबूजीये सन ओहो तर्क देबय लागथि तखन? पूनम अपन परिवार आ दोसर कुटुम्ब सम्बंधी सँ पहिने सँ परेशान छलीह। नरुआर बलाक गप्प-कथा सुनबाक हिनका हिम्मत नहि भेलनि।
अपन समाजक कोनो व्यक्ति पूनमक उत्साह-वर्धन नहि कयने छलनि । सब किओ बात-कथा कहने छलनि आ गारि-फज्जति देने छलनि। नरुआर वला समाज सँ कोनो अलग व्यक्ति छथि। जँ चीअर लीडरक काज सब केँ घृणित लगैत छैक तखन नरुआर बला केँ कियैक नीक लागतनि? किओ अपन पत्नी सँ चीअर-लीडरक काज करबा सकैत छथि?
पूनम केँ हिम्मत नहि भेलनि जे सोझाँ-सोझी अपन फैसला नरुआर बला केँ कहितथि। व्हाट्सएप्प आकि एस.एम.एस. सँ एतेक गप्प कहि नहि सकैत छलीह। मात्र ईमेल टा ओ साधन छल जाहि सँ अपन हृदयक गप्प ओ लिखि सकैत छलीह। ओ ईमेल मे संक्षिप्त रुप मे लिखने छलीह, “माय -बाबुजीक लाख मना कयलाक बादो हम चीअर लीडरक कंट्रैक्ट साइन क’ लेने छी। हमरा बुझल अछि जे अपन मैथिल समाज चीअर लीडर केँ नीक दृष्टिए नहि देखैत अछि। एहि काज केँ लोक बड्ड अधलाह मानैत अछि। मुदा हमरा एहि काज मे कोनो खरापी नहि बुझना जाइत अछि। हमरा अपन काज, अपन मेहनतक ओजी पर आठ लाख टाका भेटत जाहि सँ हमर छोट भायक कैरियर सुनिश्चित कयल जा सकैत अछि। अपने जकाँ छोट भाय केँ पैसाक कारणे हम कैरियर बरबाद हुअए देबय चाहैत छी। मात्र स्त्री भेलाक कारणे अपन जिम्मेदारी सँ दूर नहि होबय चाहैत छी। हम अपन माय-बाबूजीक इच्छाक विरुद्ध जा रहल छी। मुदा एहि मे हुनका कोनो खरापी नहि लागि रहल अछि। कृपया हमर उत्साहवर्धन करी”।
पूनम दू सप्ताहक बाट ताकलीह। नरुआर वला उत्तर नहि देलकनि। एहेन त’ भइये नहि सकैत छैक जे दू सप्ताह मे ओ ई-मेल चेक नहि कयने हेताह। एकर माने ई-मेल पढि ओ गुबदी मारने छलाह। चुप्प रहब बहुतो काज केँ आसान बना दैत छैक। गुबदी मारब सेहो एकटा उत्तर होइत छैक। पूनम केँ उत्तर भेटि गेल छलनि। नरुआर बला समाज सँ भिन्न नहि छथि। गुबदी मारब प्रश्नक सोझ उत्तर भ’ सकैत छैक, मुदा गुबदी मारब कायरताक परिचायक सेहो होइत छैक। पूनम केँ बड्ड मोन छलनि जे कम सँ कम नरुआर वला हुनकर संग दितनि । बहुत उम्मीदक संग नरुआर बला केँ ईमेल मे अपन हृदयक गप्प लिखने छलीह। मुदा जवाब नहि अयलनि। गुबदी सबटा गप्प कहि देलकनि।
मेक-अपक अंतिम चरण सेहो खत्म होमय वला छल। मोबाइल मरल-मान सन पड़ल छल। सब कुटुम्ब सम्बंधी झगड़ा क’ लेने छलनि। किनको फोन अपेक्षित नहि। पछिला दू दिन भ’ गेल कोनो मैसेजोक नोटिफिकेशन नहि आयल। मोबाइलक प्रकृति होइत छैक जे किछु ने किछु ओहि मे होइत रहय।
पूनमक मोबाइल मे व्हाट्सएपक मैसेजक टोन बाजल। गेट पर चीअर-लीडर कम्पनीक संयोजक बौआइत छलीह। पूनमक मोबाइलक आवाज सुनि संयोजकक कान ठाढ़ भ’ गेलनि। संयोजक मोबाइल स्विच-आफ करबाक पुनः हिदायत देलकनि। यएह संयोजक हिनक बॉस सेहो छलीह। मुँह पर व्युटिशियन एखनो धरि हाथ चलबैते छल। पूनम इशारा सँ संयोजक केँ बुझेबाक प्रयत्न केलीह जे कनिकाल मे बंद क’ देतीह।
बाँकी चीअरलीडरक बेरा-बेरी मेकअपक काज खत्म भेल जा रहल छल। सब कियो अपन-अपन समान समेटि रहल छल। पूनमक मोबाइल फेर सँ बाजल, वएह व्हाट्सएपक आवाज। मोन मे भेलनि जे ओ त’ सबटा ग्रुप इत्यादि केँ म्यूट क’ क’ रखने छथि। पुनः दू-तीन बेर मोबाइल बाजल। एकर माने चारि पाँचटा मैसेज आयल छनि। अवश्य कियो नवका ग्रुप बना हिनका ओहि मे जोड़ि देने छनि जाहि मे लोक खटाखट मैसेज पठा रहल छनि। फोन केँ स्विच-आफे कयने फायदा। आब संयोजक सँ सेहो डाँट-दबाड़ सुनि क’ स्टेडियम नहि जाए चाहैत छलीह। संयोजक हिनकर इशारा बुझि गेल छलनि मुदा तैयो बाजि रहल छल, “जल्दी करो ! जल्दी करो !”
स्टेडियम हठाते दर्शकक हल्ला सँ गुंजायमान भेल। हठाते सब किओ समान सरिआबय लागल। संयोजक पुनः बाजल, “टॉस होने जा रहा है, एक मिनट के अंदर हमे अपने-अपने जगह पर पहुँचना है, जल्दी करो! जल्दी करो!”।
पूनम जल्दी सँ अपन समान सरियाबय लागलीह। अपन हैण्डबैग मे फोन केँ स्वीच ऑफ करबाक लेल बाहर कयने छलीह। मोबाइल फोनक उपरे मे आधा मैसेज देखेलनि । नरुआरवलाक मैसेज छलनि, “अहाँक जीवनक संघर्ष बहुत प्रेरणादायक अछि, हम अहाँक लेल बड्ड प्रसन्न छी, अहाँ हमर जीवनक चीअर लीडर सेहो बनि जाउ ने”।
पूनम मोबाइल केँ अनलॉक क’ शेष मैसेज पढबाक प्रयत्न करय लगलीह। संयोजक लग मे आबि गेलनि। जोर सँ चीकरि क’ कहलकनि, “सुनाई नहीं दे रहा, टॉस शुरु होने वाला है, फोन बंद करो”।
पूनम दोसर मैसेज सब नहि पढि सकलीह। फोन स्वीच ऑफ क’ हैण्डबैग मे राखि लेलीह आ हैंडबैग केँ लाकर मे राखि देलीह। ओ दुनु हाथ मे फुलझड़ी जकाँ झण्डा लेने बाँकी चीअर-लीडरक संग चलि रहल छलीह।
ओम्हर दुनू टीमक कप्तान टॉस करबाक लेल नियत जगह पर आबि गेल छल । टॉसक सिक्का हवा मे उछालल गेल । पूनमक नजरि ओहि सिक्का पर केंद्रित छलनि।
आ कि क्यो बाजि उठलैक – “टॉस जीति गेलैक ओ ! ”
डा. कुमार पद्मनाभ सुपौल जिलाक बनैनियाँ गामक निवासी छथि । बनैनियाँ गामक जलमग्न भेलाक बाद हिनकर परिवार 1990 मे कोसीक कारणे उपटि क’ गोरखपूर मे बसि गेलनि । छबीस साल बाद 2016 मे ई पुनः मिथिला घुरि अयलाह आ धर्मपट्टी गाम मे अपन घर बसेलनि। हिनकर साहित्यिक यात्राक प्रारम्भ इंटरनेटक माध्यम सँ 2004 मे मैथिली ब्लागरक (कतेक रास बात) रुप मे भेलनि । तत्पशात मैथिली मे कथाक रचना करैत गेलाह । एखन धरि लगभग तीस टा सँ बेसी कथाक रचना कयने छथि । 2010 मे हिनकर मैथिली कथा-संग्रह ‘भोथर-पेंसिल सँ लिखल’ अंतिका प्रकाशन सँ प्रकाशित भेलनि । 2018 मे हिनकर मैथिली उपन्यास ‘पपुआ-ढपुआ-सनपटुआ’ सेहो प्रकाशित भेलनि । सम्प्रति यात्रा वृतांत पर काज क’ रहल छथि । अंग्रेजी मे 2011 मे हिनक उपन्यास ‘द-बेल्ड-आउट’ सेहो प्रकाशित भेल छलनि । डा. पद्मनाभक शिक्षा आइ.आइ.टी खड़गपूर सँ भेल छनि जतय सँ कम्प्युटर विज्ञान मे पी.एच.डी कयने छथि । सम्प्रति ब्रिटिश टेलीकामक एकटा अनुसंधान केंद्र मे वरिष्ठ-वैज्ञानिक पद पर कार्यरत छथि ।