अभि आनंदक छह गोट कविता

  1. धाख

रातिक चारि बजे
महानगरक चकाचौंध मे
फेसबुक पर
रैंडमली पोस्ट सभ लाइक करैत
भरि दिनक थकान दूर करबाक लेल
किछु एहन पढ़ चाहैत छी
जे पढ़ि लागय हम नहि छी एसगर
हमरा संग अछि अहाँक सिनेह

सिनियर सभक ऑनसाइट फोटो देखैत
तैयार करैत छी हमहूँ अपन स्ट्रैटजी
एतैक समय
जहिया हमहू खींचाएब फोटो
कोनो ‘विदेशन’क संग
ओकरा आँखि मारैत
“जस्ट फ्रेंड” कैप्शन द’ करब अपलोड

फेर अनचोके मोन पड़ैत अछि
दाय-माय-बहिन जिनका सँ
हम छी सय कोस दूर
मोन हमर होइत अछि विचलित
स्मरण होबय लगैत अछि
घाठि फेंटैत दाइ
अदौरी खोंटैत माय
चूल्हा-चौकी करैत बहिन

विचारक क्रम मे फेर स्मरण अबैत अछि
चरखा कटैत दाइ
जनऊ तनैत माय
मखान कुटैत बहिन

मायक कौचर्ज करैत दाइ
दाइक कौचर्ज करैत माय
मिथिला पेंटिंग बनबैत बहिन

बढ़ लगैत अछि हमर अकुलाहटि
हमरा लग अछि दू टा ऑप्सन
फेसबुकिया व्यामोह
आकि संबंधक एतेक पैघ वितान

हम थमकि जाइत छी
चुनैत छी
दाइ-माय-बहिन
सीनियर केँ क’ दैत छी अनफ्रेंड…..

  1. स्त्री आ पोथी

स्त्री एकटा पोथी जेकाँ होइत अछि
जकरा देखैत अछि सब
अपना-अपना बेगरताक हिसाबे

कियो सोचैत अछि
एकटा घटिया आ सस्ता
उपन्यास जेकाँ
आ कियौ जिबैत अछि
गद-गद भ’
एकटा हसीन
पटकथा बूझि कँ

कियौ उल्टाबैत अछि
अप्पन खाली समय बितेबाक लेल
रंगीन पन्ना मात्र बूझि
आ किछु राखि दैत छैक
घरक चक्का पर सज़ा कँ
कोनो लेखकक कोनो पोथीक अपूर्ण पांडुलिपि जकाँ

किछ एहनो जे
रद्दी बूझि
पटकि दैत छैक
घरक कोनो दोग मे

आ दुःखी भ’ किछु पूजैत अछि
भगवती केँ चिनबार पर
गीता-कुरान
या आन पवित्र ग्रन्थ जकाँ

स्त्री एकटा ओहन पोथी जकाँ होइत अछि
जकरा पढ़बाक सामर्थ्य
वा पढ़ि क’ बुझबाक सामर्थ्य
पुरुष मे किन्नहु नै भ’ सकैत अछि।

  1. प्रेमपत्र

लिख क’ पठायब प्रेम-पत्र अहाँ केँ
ओहि दिन
जहिया हेरा गेल रहत
अहाँक सब अता-पता
जाहि दिन दम तोड़ि देने
रहत हमर भरोस

जाहि दिन भ’ जायत भरोस
जे अहाँ केँ हमरा सँ प्रेम नै
जहिया अहाँ केँ
हमर कोनो चिठ्ठी-पत्रिक
एक मिसिया उम्मीद नै
ओहिना ख़त-पात्र मे गिरा देबैक
अहाँ केँ लेल लिखल प्रेमपत्र

जाहि दिन
हमर शब्दक मोन दबि क’ मरि जायत
भावक जिवाश्म
करत विद्रोह
जितबाक लेल अप्पन अस्तित्वक युद्ध
छोड़ि देबैक देनाइ भरोस

लिखि क’ पठायब प्रेम-पत्र अहाँ केँ
जाहि दिन डूबैत रहत सब लिपी
डगमग करैत रहत अक्षर
प्रेमक कविता-खिस्सा सँ
विदा लेब लागत प्रेम
खुनक रंग चोरा
चानीक पन्ना पर
बसातक हाथे
जरूर पठायब एकटा सिनेह मे बोरल प्रेम-पत्र अहाँ केँ

अहाँ एक्के हुक मे पढ़ि लेब
कनेक काल देखब
फ़ेर बिहुँसि उठब
अ नाटक करब किछु नै बुझबाक
थर-थर कंपैत हाथ सँ
फाड़ि क’ क’ देबै गुदरी-गुदरी
आ उड़िया देबै फ़ागुनक बसात मे
मुदा डर अछि ई गुदरी
उड़िया क’ चलि नै जाइ कोनो प्रेमी लग
आ ओ ओहि गुदरी सँ बुनय लागय
एकटा नव प्रेम-पत्र

  1. ई कोन राग अछि

हम जीबैत छी
अपन घर-आँगन आ परिवेश सँ दूर
एहि महानगर मे
विशाल इमारतक सकचुन्न कोलखी मे
किरायादार कहेबाक लेल
अभिशप्त छी हम

कैनवास पर
दुनियाँक मानचित्र देखबैत
एकटा लैपटॉप मे
अपन प्रोजेक्ट लेल
पावर पॉइन्ट एक्सेल मे
अपन माथ लगबैत
बितबैत छी दिन-राति
ओहिठाम सँ बहुत दूर
असगन्नी पर टाँगल रहैत अछि हमर मोन

औंघाइत सपनाइत छी
एकटा कोनो प्रेम कविता लिखि आ
लिखि क’ बहा दियैक
कोशीक कछेर मे
लागि सकय जाहि सँ
कतेक भासैत प्रेमी सब केँ नाह पार
प्रेम मे रहल लोक चाहैत अछि दोसराक लेल प्रेम सेहो

असाइनमेंट बनबैत काल
होइत अछि लिखी एकटा विशाल लेख
जाहि मे होइ
हमरा घर-आँगनक गप
लोकक गप, ओकर अधिकारक गप्प
लिखी एकटा स्मृतिक अनुरागक गीत
जाहि मे लेपटायल होथि माँ-बाबूजी
हुनक आँखि मे हमरा मादे बसैत आस-विश्वास

मुदा
महानगरक कोलाहल भरल कृत्रिम इजोरिया
तोड़ि दैत अछि काँचिह मे हमर निन्न
मुँह पर दू चूरूक पानि मारैत
पहिर लैत छी गरदामि
विदा भ’ जाइत छी मेट्रो स्टेशन दिस

होइतहि साँझ घुरैत छी वएह सकचुन्न कोलखी मे
पुनः वएह राति
वएह सपना
वएह अनुरागक गीत
एहि राग केँ पकड़बाक चेष्टा करैत-करैत
सुति रहैत छी हम!

की ठीके सुति रहैत छी हम ?

  1. संशय

सत्ताक बखारी पर ठेहुनिया रोपने
सत्ताधिश सँ के पूछत प्रश्न ?
के द’ सकैत अछि ओकर विरुद्ध गवाही
जाबि देतैक ओ सभक स्वर

मोन मे बैसल रहैत अछि सदिखन एकटा डर
नाइटिजक सिनेमा जकाँ
जाहि मे अदालत पहुँचैत – पहुँचैत
मारि देल जाइत रहैक गबाह

पुछलाक बाद लोकक सोझाँ
घुघुआ-मना खेलाइत
संतोखक पाठ रटा देल जाइत छैक
ताहू सँ जँ नै बुझैत छैक लोक तँ
कहि देल जाइत छैक किछु अनेर-ढ़नेर

ककरा सँ की पुछल जाइक ?
ककर कर्तव्य पर भरोस कयल जाइक
सबटा ओझरायल, सबटा कुचक्र …

सत्ताधीश लग छैक राजनीतिक कार्ड
समाजसेवी लग छैक स्क्रिप्टेड नारा
एनजीओ सभ लग छैक मोमबत्तीक अमार
आ पस्त मीडिया केँ प्रिय छैक टीआरपी

अहीं कहु ने ककरा सँ पुछियैक मीत
ओ हत्या रहै आ कि आत्महत्या …

  1. छम-छम-छम

अहाँक पैर मे
पहिरा देबय चाहैत छी
एकटा पैजनिया

जखन रहब
हमर सोझाँ
ओकर रुनुकि-झुनकि
रचतैक एकटा मधुर धुन
जाहि सँ भाव-विभोर
होयब हम-अहाँ,


जखन रहब
हमरा सँ दूर अहाँ
त’ हमर प्रेम
अहाँक एकहक डेग मे बाजत आ
छ्मकब हम,

छम-छम, छम-छम-छम-छम….

अभि आनंद

मैथिलीक नवांकुर कवि अभि आनंदक गाम मधुबनी जिलाक रामनगर (परजुआरि) छनि, सम्प्रति दिल्ली मे रहैत छथि। गाम सँ बाहर रहितो गाम जीबैत छथि । कंप्यूटर (BCA) सँ ग्रेजुएट अभि आनंद मैथिली सँ अकादमिक शिक्षाक हेतु उद्यत भेलाह अछि । हिनका सँ हिनका मोबाइल नम्बर +918447883467 पर संपर्क कयल जा सकैछ ।