के बताह कवि भांग पीबि क’…

बरख 2008 मे पहिल रचना छपल रहय आ २-४ साल जाइत-जाइत थोड़-बहुत आखर बुझय लगलियैक। आ से तहिये सँ देखि रहल छी जे जिनका किनको अकादमीक पुरस्कार भेटैत छनि तिनका पर घोल-फ़चक्का उठैत अछि। मुदा से उठैत कियैक अछि ? की कोनो पुरस्कृत व्यक्ति अकादमी वा जूरी के कहने रहथिन जे हमरा पुरस्कृत करु? कैंडिडेटक कोन गलती जे हुनका लोकनिक मान-मर्दन कयल जाइत अछि? अहाँ केँ पुरस्कारक चयन पर आपत्ति अछि त’ एहि मे कैंडिडेट वा अकादमी कतय सँ दोषी छैक ? सवाल त’ जूरी सँ हेबाक चाही जे अहाँ अमुक केँ कियैक देलियनि वा कियैक नहि देलियनि? कखनोकाल सोचैत छी जे कतेक अपमान लगैत हेतनि पुरस्कृत व्यक्ति सब केँ जे देशक सर्वोच्च साहित्यिक संस्था सम्मान केलक आ अपने घरक लोक सब अपमान करबा लेल उताहुल रहैत अछि। जे चयन करैत अछि तकरा पर निश्चित सवाल उठाओल जेबाक़ चाही; मुदा चयनित व्यक्ति केँ अपमानित करब ई उचित नहि अछि बन्धु!

किछु व्यक्तिगत गप करी, विगत पाँच बरख मे बहुत गोटे बहुत तरहक टोटका कहलाह। जेना किछु गोटे कहलाह जे अहाँ फ़ेसबुक पर नहि रहू, अहाँ लोक सब सँ मिलि क’ रहू, अहाँ ककरो किछु नीक-बेजाय नहि कहियौक, अहाँ सभक कांटैक्ट मे रहू, आदि-आदि। मुदा बन्धु, हमरा ई सब पार नहि लागल कारण हमर रीढ़ एखन ठीक काज क’ रहल अछि। आ से ई सब जखन लगभग पछिला 15 वर्षक लेखकीय जीवन मे पार नहि लागि सकल त’ आब कोना लागत! हँ, तहन ई बात ठीक जे लेखक केँ मर्यादित रही क’ कोनो बात वा व्यवहार करबाक चाही।

अपना ओहिठाम ई अजगुत छैक जे सीनियर लेखक सब शिष्टाचारक नाम पर दासत्वक पोषक भ’ जाइत छथि। कोनो सीनियरक कोनो रचना पर यदि कोनो जूनियर किछु लिखलक वा बाजल त’ सार्वजनिक रूप सँ ओ अशिष्ट भ’ जाइत अछि आ मौका-कुमौका तकर ओइल सधाओल जाइत अछि; ओहि जूनियर केँ विभिन्न तरहे परेशान क’ क’। जानि ने कियैक एखनो सामन्तवाद एतेक जहपटार भेल जा रहल अछि।

कतेक दया करक चाही हमरालोकनि केँ एहन मानसिकता पर!

लेखक गुणवत्ताक निर्धारण ओकर लिखल पाँति सब सँ होइत छैक; पुरस्कार सँ नहि। हँ, तहन ई बात ठीक जे सम्मान भेटय से अवश्य इच्छा रहैत छैक। आब लोक अज्ञानवशात सम्मान केँ पुरस्कार आ पुरस्कार केँ सम्मान बुझि लैत छथि त’ से की कयल जा सकैत अछि।

त’ से कहैत रही जे लेखक लेल सम्मान ज़रूरी छैक पुरस्कार नहि!

आउ किछु पुरस्कार पर गप करी। बिगत लगभग ५ बरख सँ हमर पोथी अकादेमीक युवा पुरस्कार लेल लागि रहल अछि। सब बेर एकटा ने एकटा जूरी हमरा पक्ष मे रहैत छथि आ बाद मे भेंट-घाँट मे कहैत छथि जे फल्लाँ नहि होबय देलनि। यदि नहिएँ होबय देलनि त’ की भ’ गेलैक ? हमर लेखन रुकि गेल वा हमर उत्तरोत्तर प्रगति रुकि गेल? हम त’ आगूए बढ़ल जा रहल छी शुभचिंतक सबहक आशीषक बले। अन्यथा नहि ली त’ सूचित हो जे हम संपूर्ण मिथिला (प्रायः बिहारक सेहो) पहिल व्यक्ति छी जे यूनाइटेड नेशनक गौरवशाली हॉल मे मैथिली बाजल रही, एनबीटी द्वारा चयनित देशक 72 लेखक मे सँ एकमात्र मैथिलीक लेखक छी, मैथिली लेखक रूप मे प्रायः प्रथम व्यक्ति छी जे महामहिम राष्ट्रपतिक आमंत्रण पर राष्ट्रपति भवन गेल रही, आदि-आदि। त’ से कहल जे व्यक्तिक उत्कर्ष केँ मात्र एकटा अवार्ड नहि भजारि सकैत अछि; भजारबाको नहि चाही।

उपरोक्त आत्मप्रशंसा हेतु क्षमा चाहैत छी, बन्धु!

युवा पुरस्कार लेल त’ ई कहब जे जिनका भेटलनि अछि तिनका खूब रास आशीर्वाद दियनु। रिंकी एखन सब सँ छोट उम्रक लेखिका छथि। हुनका प्रोत्साहित कयला सँ मैथिलीक भविष्यक लेखिका तैयार होयत। हृदय पैघ राखक चाही लेखक वा साहित्यक लागि-भागि बला लोक केँ।

आ हमरा त’ मैथिलीए मे लिखबाक अछि। एही मैथिली दुआरे जे किछु भेटल अछि जीवन मे से भेटल अछि। पुरस्कार नहि भेटला सँ हमरा भीतरक लेखक केँ कोन फ़र्क़ पड़ैत छैक? आ जँ कदाचित पड़ैत छैक त’ हमरा तत्क्षण लेखन छोड़ि देबाक चाही। मुदा हम लेखन कोना छोड़ि सकैत छी? तैं श्रेष्ठ यएह छैक जे पुरस्कारक आहे-माहे सँ बाहर निकालि ली अपना भीतरक लेखक केँ। त’ से जे भविष्य मे कृपया हमर पोथी केँ अकादमीक युवा पुरस्कार लेल नहि पठाबी आ हमर पोथी पर कोनो विचार नहि करी। जँ कदाचित योग्य बुझि पड़ैत अछि पोथी त’ ओहि पर नीक-बेजाय कहल करी।

त’ से जे हमरा पोथी पर भविष्य मे पुरस्कारक हेतु कोनो विचार नहि हो!

सादर-सप्रेम…

— गुंजन श्री